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कभी कभी हम "दिल" के "हालात" भी "लिखते" हैं...!!
*हर वक़्त "वाह वाह' की "ख्वाहिश" नहीं होती...!!

अमीर तो हम भी बहुत थे, पर दॊलत सिर्फ दिल की थी.
खर्च भी बहोत किया ए दोस्त,पर दुनिया मे गिनती सिर्फ नोटों की हुई.

तेरी चाहत में हम ज़माना भूल गये किसी और को हम अपनाना भूल गये.
तुम से मोहब्बत हैं बताया सारे जहाँ को बस एक तुझे ही बताना भूल गये.!!

यूं क्यों रूक गए हम, इजहार करते करते..
मेरी बीत जाए उम्र, तूझे प्यार करते करते..

भरे बाजार से अक्सर ख़ाली हाथ ही लौट आता हूँ
पहले पैसे नहीं थे अब ख्वाहिशें नहीं रहीं

देखकर दर्द किसी का जो आह निकल जाती है
बस इतनी से बात आदमी को इंसान बनाती है.

😊#ოυʝɦֆε अलविदा 🗣कहते #ɦυε 😊मैंने ʝαß 👱‍♀उससे #ρυcɦɦα के कोई 💎#निशानी दे ∂o..!! 👱‍😢√o ☺मुस्कुराते हुए 💔#ßoℓί 💕जुदाई ɦί ✔#काफी ɦαί..!!🎻💞

☆ #हमारी 👦 #किस्मत तो #आसमान पे चमकते #सितारों 🌟 की तरह है, 😉 #लोग 👭👫 अपनी #तमन्ना☝ के लिए हमारे #टूटनेका इंतजार #करते है ।। 😕😏😎

मेरे ख़ामोश खयालों का अहसास बन कर, 🌹💞🌹💞🌹💞🌹 तुम मुझमें गुम हो जाओ कहीं अल्फ़ाज़ बन कर...

🥀💞🥀मिटाओगी कहाँ तक मेरी यादें और मेरी बातें, मैं हर मोड़ पर लफ्ज़ों की निशानी छोड़ जाऊँगा..🥀💞🥀

💜मोहब्बत है तुमसे ..💜 इसलिए नजर अंदाज नहीं किया कभी. वरना बेरुखी तुमसे कहीं बेहतर जानते हैं हम..💜

_*😘प्यार उससे करो 👉🏻जिसका 💓दिल पहले से 💔टूटा हुआ हो....*_ _*☝🏻क्योंकि जिसका 💓दिल 💔टूटा हो, 👉🏻वो किसी का ❤दिल ❌नहीँ 💔तोड़ता......*_

तू इस कदर मुझे अपने करीब लगता है..🍁🍁 तुझे अलग से जो सोचूँ, तो अजीब लगता है...!!

मिरे गुनाह ज़ियादा हैं या तिरी रहमत करीम तू ही बता दे हिसाब कर के मुझे !!

इश्क होम्योपैथिक है उनका..!
न सुइयाँ, न बोतल, न एक्सरे,
न दाखिला...!!
हम दर्द बयाँ करते गये..!
वो मीठी गोलीयाँ देते रहे...!!

रुखी रोटी को भी बाँट कर खाते हुये देखा मैंने,
सड़क किनारे वो भिखारी शहंशाह निकला।

कभी वक्त मिले..
तो वक़्त निकल कर...
वो वक़्त याद करना....
जो वक्त हम दोनों ने साथ बिताया था...!

कभी खुशी कभी गम
ये सिलसिला ही क्या है..
यूं करके हर बार मुझे परेशां
तुझे मिला ही क्या है..?

ढलती शाम की उम्र और थके थके से हम,
उम्मीदों का क़ाफ़िला और वक़्त बहुत है कम,

तमाशा इससे बढकर क्या मुकद्दर का यहाँ होगा
हमें उस से मुहब्बत है, उसे इसकी खबर भी है

चलने दे जाम-ओ-इश्क़ के दौर
होश-ओ-हवाश में ख़ुद का ख़्याल नहीँ रहता

प्यार गुनाह है तो होने ना देना
प्यार खुदा है तो खोने ना देना
करते हो प्यार जब किसी से तो
कभी उस प्यार को रोने ना देना।

जागते जागते इक उम्र कटी हो जैसे
जान बाक़ी है मगर साँस रुकी हो जैसे

खटखटाते रहिए दरवाजा एक दुसरे का...
मुलाकातें ना सही, आहटें आती रहनी चाहिए...

ये मानते हैं के हम सर झुकाते हैं
ये ज़रूरी नहीं तुम ख़ुदा हो जाओ

💕 *झूठे हैं वो जो कहते हैं हम सब मिट्टी से बने हैं,
मैं कई अपनों से वाकिफ़ हूँ जो पत्थर के बने हैं* 💕

आंखें पढ़ो, और जानो हमारी रज़ा क्या है,
हर बात लफ़्ज़ों से बयान हो, तो मज़ा क्या है।।

देखता रहता है, समझता भी है मगर करता कुछ भी नहीं
न जाने क्यूँ आजकल मेरा महबूब खुदा जैसा हो गया है

तंग आ चुके हैं कश्मकश-ए-ज़िन्दगी से हम,
ठुकरा न दें जहान को को कहीं बे-दिली से हम।

एक बात सीखी हैं रंगों से...
अगर निखरना है तो.....
बिखरना ज़रूरी हैं....!!

कुछ यूँ उतर गए हो मेरी रग_रग में तुम,
कि खुद से पहले एहसास तुम्हारा होता है

मैंने तो माँगा था थोड़ा सा उजाला अपनी जिंदगी में;
वाह रे चाहने वाले तूने तो आग ही लगा दी जिंदगी में!

कोई तो है मेरे अंदर मुझको संभाले हुए;
कि बेकरार होकर भी बरक़रार हूँ मैं!

जेब में क्यों रखते हो खुशी के लम्हें जनाब;
बाँट दो इन्हें ना गिरने का डर, ना चोरी का!

ना जाने कितनी अनकही बातें, कितनी हसरतें साथ ले जाएगें;
लोग झूठ कहते हैं कि, खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाएगें!

एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी;
जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं;
हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं ।

जिन्दगी की राहों में मुस्कुराते रहो हमेशा;
क्योंकि उदास दिलों को हमदर्द तो मिलते हैं, पर हमसफ़र नहीं!

ना जाने कब खरच हो गए पता ही नहीं चला;
वो लम्हें जो बचा कर रखे थे जीने के लिये!

तमन्ना ने जिंदगी के आँचल में सिर रख कर पूछा "मैं कब पूरी होउंगी";
जिंदगी ने हँसकर जवाब दिया "जो पूरी हो जाये वो तमन्ना ही क्या!

जिंदगी दो लफ्ज़ों में यूँ अर्ज है;
आधी कर्ज है, तो आधी फर्ज है!

लगता है, आज ज़िन्दगी कुछ ख़फ़ा है;
चलिए छोड़िये, कौन सा पहली दफ़ा है

फासलें इस कदर हैं आजकल रिश्तों में;
जैसे कोई घर खरीदा हो किश्तों में!

चुपचाप गुज़ार देगें तेरे बिना भी ये ज़िन्दगी;
लोगो को सिखा देगें मोहब्बत ऐसे भी होती है!

रास्ते कहाँ ख़त्म होते हैं, जिन्दगी के सफ़र में;
मंजिल तो वहीं है जहाँ, ख्वाहिशें थम जाए!

हाल पूछ लेने से कौन सा हाल ठीक हो जाता है;
बस एक तसल्ली सी हो जाती है कि इस भीड़ भरी दुनिया में कोई अपना भी है।

हर एक लकीर, एक तजुर्बा है जनाब,
झुर्रियां चेहरों पर, यूँ ही आया नही करती।

बड़ी चालाक होती है ये जिंदगी हमारी,
रोज़ नया कल देकर, उम्र छीनती रहती है।

हर बात मानी है तेरी सिर झुका कर ए जिंदगी,
हिसाब बराबर कर तू भी तो कुछ शर्तें मान मेरी।

"दरिया" बन कर किसी को डुबोना बहुत आसान है,
मगर "जरिया" बनकर किसी को बचायें तो कोई बात बने।

बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को, ताकि धुल जाए स्याही,
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन करता है कभी-कभी।

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