"अजीब लुत्फ़ था नादानियों के आलम में,
समझ में आई तो बातों का वो मज़ा भी गया."
घोंसले से प्यार था पर मुड़ के न देखा कभी
या अलग ये दौर है या ये परिंदा और है।
शहर पूरा बंद हैं, हर गली में नाकाबंदी है..!
तुम पता नहीं किन रास्तों से, चले आते हो ख़्यालों में...
सोंचते हैं गिरा दें सभी रिश्तों के खंडहर
इन मकानों से किराया भी नहीं आता..✍️
इश्तिहार दे दो ये दिल खाली है
वो जो आए थे किरायदार निकले..✍️
कितनी अजीब है इस शहर की तन्हाई भी,
हजारों लोग हैं मगर कोई उस जैसा नहीं है।😘😘
गुमशुदा जिंदगी तो अपने लिये होती है
जमाना तो यादों मे भी खुश रहता है
हवा गुज़र गयी पत्ते थे कुछ हिले भी नहीं
वो मेरे शहर में आये भी और मिले भी नहीं
ये कैसा रिश्ता हुआ इश्क में वफ़ा का भला
तमाम उम्र में दो चार गिले भी नहीं
बहुत ख़्वाब सज़ाए हमने अपने बचपन में
जवानी की दौड़ में सब पीछे छुट गए!
दिखाने के लिए ताे हम भी बना सकते है ताजमहल मगर मुमताज़ काे मरने दे हम वाे शाहजहाँ नहीं ।
कुछ रिश्ते इसलिए नहीं सुलझ पाते हैं क्योंकि लोग गैरो की बातों में आकर अपनों से उलझ जाते हैं।
बात बस इतनी सी थी
उन्हे चाय पसंद थी
और हमे चाय पिने वाले
सुखी पत्तो की तरह बिखरी हुई थी मेरी ज़िन्दगी
किसी ने समेटा भी तो सिर्फ जलiने के लिए. 💔💔(♣♠)
एक पे एक मुफ्त
ऐसा कहकर वो दर्द देकर चला गया
“सोचने से कहाँ मिलते हैं ,तमन्नाओं के शहर..
चलने की जिद्द भी जरुरी है मंजिलों को पाने के लिये”
कुछ लोग आँसू की तरह होते हैं पता ही नहीं चलता साथ दे रहे हैं या साथ छोड़ रहे हैं
💞 नज़रों से ना देखो हमें.. तुम में हम छुप जायेंगे..
अपने दिल पर हाथ रखो तुम.. हम वही तुम्हें मिल जायेंगे..! 💞
ना हुआ हमसूस बेइंतिहा मोहब्बत जिसे सांसो की महक से
क्या समझेगा वो हाल-ए-दिल एक गुलाब देने भर से
मुझे कहना नहीं आता
तुम अब समझना सीख जाओ
चलिए साहब..कर्फ्यू के बहाने ही सही
मुद्दतों बाद सब रिश्ते इकट्ठा तो हुए..✍️
ये इश्क़ का जुआ हम भी खेल चुके हैं साहब रानी किसी और कि हुई जोकर हम बन गए...
मां के लिए क्या लिखूं
मां ने खुद मुझे लिखा है
बहुत कम लोग हैं जो मेरे दिल को भाते हैं,
और उससे भी बहुत कम हैं जो मुझे समझ पाते हैं।"
"चेहरा देख कर इंसान पहचानने की कला थी मुझमें......
तकलीफ तो तब हुई जब इंसानों के पास चेहरे बहुत थे"…......✍️✍️
मेरी खामोशी बहुत कुछ कहती हे।
कान लगाकर नहीं दिल लगाकर सुनो।।
चल कहीं दूर चला जाए ऐ जिंदगी,
ये लोगों का हुजूम अब दिल में बैचेनी पैदा करता है।
अफवाह थी कि मेरी तबीयत ख़राब है
लोगों ने पूछ पूछ कर बीमार कर दिया
ना चांद अपना था और ना तू अपना था काश दिल भी मान लेता कि सब सपना था
बात कोई और होती तो कह भी देते...
कम्बखत मोहब्बत है बतायी भी नही जाती...
हो सकती है जिंदगी में मोहब्बत दोबारा भी……
बस हौंसला चाहिए फिर से बर्बाद होने का…!!
बहुत अंदर तक जला देती हैं।
वो शिकायतें, जो बयां नहीं होती,,
बिखरी सी गुलाबी यादें
जमी हुईं बर्फ़ सी बातें
हमसे बात कीजिये तो जरा एहतियात से...
हम लफ्ज भी सुनते है और लहजे भी...!!
समय के साथ दौड़ने की कोशिश की लेकिन मैं हमेशा हार गया
जिसको बचाने की कोशिश की वो ही मुझे मार गया
जब ठेस लगी दिल पर तो राज खुल हम पर
वो बात नहीं करते नशकर से चुभोते है
नए किरदार आते जा रहे
लेकिन नाटक वहीं पुराना चल रहा है
राहत इंदौरी
बारिशों से दोस्ती अच्छी नहीं "फ़राज",
कच्चा तेरा मकाँ है कुछ तो ख्याल कर।
ना कोई गुरु.....ना कोई चेला
भीड़ में अकेला.....अकेले में मेला
दुनिया में तेरे इश्क़ का चर्चा ना करेंगे,
मर जायेंगे लेकिन तुझे रुस्वा ना करेंगे,
गुस्ताख़ निगाहों से अगर तुमको गिला है,
हम दूर से भी अब तुम्हें देखा ना करेंगे।
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।
गुलाब ख़्वाब दवा ज़हर जाम क्या-क्या है
मैं आ गया हूँ बता इन्तज़ाम क्या-क्या है