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किसी का रूठ जाना और अचानक बेवफा होना, मोहब्बत में यही लम्हा क़यामत की निशानी है।

फिर से निकलेंगे तलाश-ए-ज़िन्दगी में, दुआ करना इस बार कोई बेवफा न निकले।

इतनी मुश्किल भी न थी राह मेरी मोहब्बत की, कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हुए।

कैसी अजीब तुझसे यह जुदाई थी, कि तुझे अलविदा भी ना कह सका, तेरी सादगी में इतना फरेब था, कि तुझे बेवफा भी ना कह सका।

अबकी बार सुलह कर ले मुझसे ऐ दिल, वादा करते है, फिर न देंगे तुझे किसी बेवफा के हाथ में

न करना प्यार कभी किसी मुसाफिर से उनका ठिकाना बहुत दूर होता है, वो कभी बेवफा तो नहीं होते, मगर उनका जाना ज़रूर होता है

आग दिल में लगी जब वो खफ़ा हुए, महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए, करके वफ़ा कुछ दे ना सके वो, पर बहुत कुछ दे गए जब वो बेवफ़ा हुए।

तेरी चौखट से सिर उठाऊं तो बेवफा कहना, तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना, मेरी वफाओं पे शक है तो खंजर उठा लेना, मैं शौक से मर ना जाऊं तो बेवफा कहना।

मेरी वफा के क़ाबिल नही हो तुम, प्यार मिले ऐसे इन्सान नही हो तुम, दिल क्या तुम पर ऐतबार करेगा, प्यार मे धोखा दिया ऐसे बेवफा हो तुम।

वो निकल गए मेरे रास्ते से इस कदर कि, जैसे कि वो मुझे पहचानते ही नहीं, कितने ज़ख्म खाए हैं मेरे इस दिल ने, फिर भी हम उस बेवफ़ा को बेवफ़ा मानते ही नहीं।

आज हम उनको बेवफा बताकर आए हैं, उनके खतो को पानी में बहाकर आए हैं, कोई निकाल न ले उन्हें पानी से, इस लिए पानी में भी आग लगा कर आए हैं।

कहाँ से लाऊं वो शब्द जो तेरी तारीफ के क़ाबिल हो, कहाँ से लाऊं वो चाँद जिसमें तेरी ख़ूबसूरती शामिल हो, ए मेरे बेवफा सनम एक बार बता दे मुझकों, कहाँ से लाऊं वो किस्मत जिसमें तू बस मुझे हांसिल हो।

उन्हें एहसास हुआ है इश्क़ का हमें रुलाने के बाद, अब हम पर प्यार आया है दूर चले जाने के बाद, क्या बताएं किस कदर बेवफ़ा है यह दुनिया, यहाँ लोग भूल जाते हैं किसी को दफनाने के बाद।

दो दिलों की धड़कनों में एक साज़ होता है, सबको अपनी-अपनी मोहब्बत पर नाज़ होता है, उसमें से हर एक बेवफा नहीं होता, उसकी बेवफ़ाई के पीछे भी कोई राज होता है।

उसके चेहरे पर इस कदर नूर था, कि उसकी याद में रोना भी मंज़ूर था, बेवफ़ा भी नहीं कह सकते उसको  "फराज़", प्यार तो हमने किया है वो तो बेक़सूर था।

नज़र नज़र से मिलेगी तो सर झुका लेंगे, वो बेवफा है मेरा इम्तहान क्या लेगा, उसे चिराग जलाने को मत कह देना, वो ना समझ है कहीं उँगलियाँ जला लेगा।

न पूछ मेरे सब्र की इन्तहां कहाँ तक है, तू सितम कर ले तेरी हसरत जहाँ तक है, वफ़ा की उम्मीद जिन्हें होगी उन्हें होगी, हमे तो देखना है तू बेवफा कहाँ तक है।

हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी है, हर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी है, तेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संग, हमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है।

तेरी चौखट से सर उठाऊँ तो बेवफा कहना, तेरे सिवा किसी और को चाहूँ तो बेवफा कहना, मेरी बफओं पे सक है तो खंजर उठा लेना, मै शौक से ना मर जाऊं तो बेवफा कहना।

आप बेवफा होंगे कभी सोचा ही नहीं था, आप कभी खफा होंगे सोचा ही नहीं था, जो गीत लिखे हमने कभी तेरे प्यार पर तेरे, वही गीत रुशवा होंगे सोचा ही नहीं था।

तुम अगर याद रखोगे तो इनायत होगी, वरना हमको कहाँ तुम से शिकायत होगी, ये तो वही बेवफ़ा लोगों की दुनिया है, तुम अगर भूल भी जाओ जो रिवायत होगी।

नजर नजर से मिलेगी तो सर झुका लेगा, वह बेवफा है मेरा इम्तिहान क्या लेगा, उसे चिराग जलाने को मत कह देना, वह नासमझ है कहीं उंगलियां जला लेगा।

सुनो एक बार और मोहब्बत करनी है तुमसे, लेकिन इस बार बेवफाई हम करेंगे।

उसकी बेवफाई पे भी फ़िदा होती है जान अपनी, अगर उसमे वफ़ा होती तो क्या होता खुदा जाने।

मेरी मोहब्बत सच्ची है इसलिए तेरी याद आती है, अगर तेरी बेवफाई सच्ची है तो अब याद मत आना।

जब तक न लगे बेवफ़ाई की ठोकर दोस्त, हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता है।

मेरी आँखों से बहने वाला ये आवारा सा आसूँ, पूछ रहा है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह।

चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफाई का, सो आ गया है तुम्हारा ख्याल वैसे ही।

बेवफाओं की इस दुनिया में संभल कर चलना, यहाँ मोहब्बत से भी बरबाद कर देतें हैं लोग।

तुझे है मशक-ए-सितम का मलाल वैसे ही, हमारी जान थी, जान पर वबाल वैसे ही।

न कोई मज़बूरी है न तो लाचारी है, बेवफाई उसकी पैदायशी बीमारी है।

मोहब्बत से भरी कोई गजल उसे पसंद नहीं, बेवफाई के हर शेर पे वो दाद दिया करते हैं।

उसकी बेवफाई पे भी फ़िदा होती है जान अपनी, अगर उस में वफ़ा होती तो क्या होता खुदा जाने।

जब तक न लगे एक बेवफाई की ठोकर, हर किसी को अपने महबूब पे नाज़ होता है।

हर भूल तेरी माफ़ की तेरी हर खता को भुला दिया, गम है कि मेरे प्यार का तूने बेवफाई सिला दिया।

मेरी निगाहों में बहने वाला ये आवारा से अश्क, पूछ रहे है पलकों से तेरी बेवफाई की वजह।

तेरी तो फितरत थी सबसे मोहब्बत करने की, हम बेवजह खुद को खुश नसीब समझने लगे।

मेरे फन को तराशा है सभी के नेक इरादों ने, किसी की बेवफाई ने किसी के झूठे वादों ने।

हर भूल तेरी माफ की तेरी हर खता को भुला दिया, गम है की मेरे प्यार का तू ने बेवफाई सिला दिया।

बहुत अजीब हैं ये मोहब्बत करने वाले, बेवफाई करो तो रोते हैं और वफा करो तो रुलाते हैं।

कैसे यकीन करे हम तेरी मोहब्बत का, जब बिकती है बेवफाई तेरे ही नाम से।

कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी, कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी, बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने, आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी।

ऐ दोस्त कभी ज़िक्र-ए-जुदाई न करना, मेरे भरोसे को रुस्वा न करना, दिल में तेरे कोई और बस जाये तो बता देना, मेरे दिल में रहकर बेवफाई न करना।

कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी, कभी याद आकर उनकी जुदाई मार गयी, बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने, आखिर में उसकी बेवफाई मार गयी।

जानते थे कि नहीं हो सकते कभी तुम हमारे, फिर भी खुदा से तुम्हें माँगने की आदत हो गयी, पैमाने वफ़ा क्या है, हमें क्या मालूम, कि बेवफाओं से दिल लगाने की आदत हो गयी।

अगर दुनिया में जीने की चाहत न होती, तो खुदा ने मोहब्बत बनायी न होती, इस तरह लोग मरने की आरजू न करते, अगर मोहब्बत में किसी की बेवफाई न होती।

तुझे है मशक़-ए-सितम का मलाल वैसे ही, हमारी जान है जान पर बबाल वैसे ही, चला था जिक्र जमाने की बेवफ़ाई का, तो आ गया है तुम्हारा ख्याल वैसे ही।

गहराई प्यार में हो तो बेवफाई नहीं होती, सच्चे प्यार में कहीं तन्हाई नहीं होती, मगर प्यार ज़रा संभल कर करना मेरे दोस्त, प्यार के ज़ख्म की कोई दवा नहीं होती।

मत रख हमसे वफा की उम्मीद ऐ सनम, हमने हर दम बेवफाई पायी है, मत ढूंढ हमारे जिस्म पे जख्म के निशान, हमने हर चोट दिल पे खायी है।

कोई नही आऐगा मेरी जिदंगी मे तुम्हारे सिवा,  एक मौत ही है जिसका मैं वादा नही करता...

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