कहाँ से ढूँढ के लाओं मैं ऐसे इंसा को , सुने जो दर्द मेरा बेक़रार हो जाए |
जान ही दे दी तड़प कर आज पाए यार (दहलीज़)पर , उम्र भर की बेकरारी को क़रार आ ही गया |
तुम मेरे बाद मुहब्बत को तरस जाओगे , अजनबी शहर है चाहत को तरस जाओगे , जब भी सोचोगे मेरे बारे में तन्हाइयों में , दर्दे दिल सोने न देगा नींदों को तरस जाओगे |
दिल को मिला वो दर्द जिसकी दवा नहीं , चुप हों ऐसे मुझे उससे कुछ गीला (शिकाएत )भी नहीं , और कितने अश्क बहाओं याद में उसकी , उसको मेरी किस्मत में खुदा ने लिखा ही नहीं |
तेरी बाहों में आना चहता हूँ , एक बार फिर मुसकुराना चहता हूँ , अब तन्हाइयों का दर्द बर्दाश्त नहीं होता मुझसे , में तुझे फिर एक बार छुना चहता हूँ |
दिल का दर्द गुमनाम बनकर रह गया , वो देखकर भी मुझको अंजान बनकर रह गया , मैं तो इस वास्ते चुप था के तमाशा न बने , इसलिए प्यार मेरा बेनाम बनकर रह गया |
कुछ और बढ़ा देता है मेरा दर्दे -ग़म , तेरे होते हुए औरों का दिलासा देना |
दिल का दर्द शिद्दत से बढ़ता जा रहा है , ये अपनी सारी हदें पार करता जा रहा है , महबूब भी ब हुत संग दिल है मेरा , वो ये खता बार-बार करता जा रहा है |
दर्द रुकता नहीं एक पल भी , इश्क़ की ये सज़ा मिल रही है , मौत से पहले ही मर गए हम , चोट नज़रों की ऐसी लगी है |
दर्द सह कर भी तेरा नाम लिए जाते हैं , तेरे दीवाने तुझे याद किए जाते हैं |
आदत के बाद दर्द भी देने लगा मज़ा , हँस-हँस के आह -आह किए जा रहा हों में |
क्यों हिज्र के शिकवे करता हों क्यों दर्द के रोने रूता हों , अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इसमे तो यही कुछ होता है |
कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ पास-ए- मुहब्बत है , हम आह तो करते हैं फरियाद नहीं करते |
दर्द बढ़कर दवा न हो जाए , ज़िंदगी बे मज़ा ना हो जाए |
जुदाइयों के ज़ख्म दर्द-ए – ज़िंदगी ने भर दिये , तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया |
अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता , न कुछ मरने का ग़म होता न जीने का मज़ा होता |
हाल तुम सुन लो मेरा देख लो सूरत मेरी , दर्द वो चीज़ नहीं है कि दिखाए कोई|
इश्क़ की चोट का कुछ दिल पे असर हो तो सही , दर्द कम हो या ज़ियादा हो मगर हो तो सही|
आज की बात फिर नहीं होगी , ये मुलाक़ात फिर नहीं होगी , ऐसे बादल तो फिर भी आएंगे , ऐसी बरसात फिर नहीं होगी , रात उनको भी ये हुआ महसूस , जैसे ये रात फिर नहीं होगी , एक नज़र मुड़ के देखने वाले , क्या ये ख़ैरात फिर नहीं होगी शबे ग़म की सहर नहीं होगी, होगी भी तो मेरे घर नहीं होगी ज़िंदगी तो ही मुख़तसर हो जा , शबे ग़म मुख़तसर नहीं होगी |
कल बिछड़ना है तो अहदे वफा (प्यार का वादा )सोच के मांग , अभी अगाज़े (शरुआत )मोहब्बत है गया कुछ भी नहीं |
मेरी हंसी में छुपे दर्द को महसूस तो कर , बस यूं ही हंस -हंस के खुद को सज़ा देता हूँ मैं |
वो रात दर्द और सितम की रात होगी, जिस रात रुखसत उनकी बारात होगी, उठ जाता हूँ मैं ये सोचकर नींद से अक्सर, कि एक गैर की बाहों में मेरी सारी कायनात होगी।
हमसे छुपा के दर्द वो जो मुस्कुरा दिये , आँखों ने सारे राज़ हमको बता दिये ,
तेरी आरज़ू करना मेरी ज़िंदगी का खवाब है , तुझे पाना मेरे लिए दुशवार है , मेरे ग़मों का हिसाब मत लगा , दिल का हर एहसास दर्द की किताब है |
खुशबू की तरह मेरी यादों में रहना कभी आँसू बनके आँखों में रहना दोस्ती होती है एक अनमोल तोहफ़ा तुम धड़कन बनके मेरे दिल में रहना
कभी दिन तो कभी रात होगी मेरी हर दुआ तेरी नाम होगी कभी मांग के देख लेना ए दोस्त होठों पे हंसी हथेली पे जान होगी
हर रिश्ता निभाना आसान नही होता दिल के रिश्तों का कोई नाम नहीं होता प्यार की रोशनी से ढूंडा है आपको तुम जैसा दोस्त मिलना आसान नहीं होता
सितारों में चाँद जगमगाता है मुश्किल हालात में इंसान घबराता है काँटों से मत डरना मेरे दोस्त क्योंकि काँटों में भी फूल मुसकुराता है
हर खुशी में तेरी कमी रहेगी याद में तेरी आँख नम रहेगी ज़िंदगी में कितना भी आगे निकल जाएँ आप जैसे दोस्तों की कमी हमेशा रहेगी
दोस्ती का तोहफा दुआ से कम नहीं होता दोस्तों के दूर जाने से ग़म है होता किसी के आ जाने से कम नहीं होती दोस्ती जितना दूर जाओ उतनी बढ़ती है दोस्ती
फूल की जरूरत चमन में होती है चाँद की जरूरत चाँदनी को होती है दिल की जरूरत धड़कन को होती है आप जैसे दोस्तों की ज़रूरत हर पल होती है
दोस्तों के लिए इस तरह दुआ करों तुम भूल भी जाओ तो याद में करों खुदा से बस इतनी गुजारिश है मेरी हर दुआ में याद तुझे खुद से पहले करों
दोस्ती दर्द नहीं प्यारा सा एहसास है ये तो बस ज़िंदगी भर का साथ है दिल में बस ने वाला हसीं जज़बात है जिसके दम से रोशन मेरी कायनात है
लाख बंदिश लगा ले ये दुनिया मगर दिल पर क़ाबू नहीं कर पाएंगे वो लम्हा आखिरी होगा हमारी ज़िंदगी का जिस दिन यार हम तुझको भूल जाएंगे
दोस्ती हमेशा रहे इरादा है आजसे दिल का रिश्ता बन गया है आपसे साथ रहेंगे हमेशा आपके दोस्ती हर पल निभाएंगे ये वादा है आजसे
दोस्त एक ऐसा चोर होता है जो दिल से दर्द ,आँखों से आँसू चेहरे से मायूसी ,ज़िंदगी से तनहाई वक़्त पड़े तो मौत से ज़िंदगी चोरा लेता है
ख़ुदा मुझ पर एक एहसान करदे दुनिया की हर खुशी मेरे दोस्त के नाम कर दे न मिले कभी दर्द उसको तू उसकी क़िस्मत में चाँद-तारे लिख दे
मेरे दोस्त ज़िंदगी भर मुझे यूं ही प्यार करना मैं तुझे दग़ा ना दूंगा मेरा एतबार करना
मिल-मिल के दोस्तों ने वो दी है दग़ा मुझे अब खुद पे भी नहीं है यकीने वफा मुझे
तू अगर दोस्त है तो नसीहत ना कर खुदा के लिये मेरा ज़मीर बहुत है मेरी सज़ा के लिये
जीतने भी जख्म हैं मेरे दिल पर दोस्तों के लगाए हुए हैं
लोग काँटों से बच के चलते हैं हमने फूलों से जख्म खाए हैं तुम तो गैरों की बात करते हो हमने अपने भी आजमाए हैं
जिनहे तुम दोस्त कहते हो उन्ही से बचके चलना है ये बदलेंगे तो बदला दुश्मनों से कम नहीं लेंगे
दोस्त बानकेर भी नहीं साथ निभाने वाला वही अंदाज़ है ज़ालिम का ज़माने वाला
इससे पहले के बेवफ़ा हो जाएँ क्यों ना ए दोस्त हम जुदा हो जाएँ
शर्तें लगाई जाती नहीं दोस्ती के साथ कीजिये कुबूल मुझको मेरी हर कमी के साथ
ज़िंदगी में याद के दरिया नहीं आते रूठे हुए दोस्त मुझको मनाने नहीं आते
जी लो इन लम्हों को ए दोस्त फिर लोट के दोस्ती के ज़माने नहीं आते
बेवजाह है तभी तो दोस्ती है वजाह होती तो कारोबार होता
दोस्तो उसी के साथ रखना | जो तुम्हारी हंसी के पीछे दर्द| नाराजगी के पीछे का प्यार और| ख़ामोशी के पीछे वजाह को समझे ||