तुम्हारे प्यार की दास्तां हमने अपने दिल में लिखी है,
न थोड़ी न बहुत बे-हिसाब लिखी है,
किया करो कभी हमे भी अपनी दुआओं में शामिल,
हमने अपनी हर एक सांस तुम्हारे नाम लिखी है!
उनका हाल भी कुछ आप जैसा ही होगा,
आपका हाले दिल उन्हें भी महसूस होगा,
बेकरारी की आग में जो जल रहे हैं आप,
आपसे ज्यादा उन्हें इस जलन का एहसास होगा।
ये ना पूछ मै शराबी क़्यूं हुआ,
बस यूं समझ ले..
गमों के बोझ से,
नशे की बोतल सस्ती लगी ।
ये शेरो-शायरी सब उसी की मेहरबानी है,
वो कसक जो सीने से आज भी नहीं जाती।
दो-चार नहीं मुझको... बस एक दिखा दो,
वो शख़्स जो बाहर से भी अन्दर की तरह हो।
जोकर से पुछा गया " नक़ाब क्यों लगते हो ??"
क्या खूब जवाब था उसका " लगाते तो सब है जनाब बस मेरा दिखाई देता है "
बारिश में रख दूँ जिंदगी को
ताकि धुल जाए पन्नो की स्याही,
ज़िन्दगी फिर से लिखने का
मन करता है कभी-कभी।
मेरी तबाही का इल्जाम अब शराब पर है,
करता भी क्या और तुम पर जो आ रही थी बात।
थोड़ी सी पी शराब थोड़ी सी उछाल दी,
कुछ इस तरह से हमने जवानी निकाल दी।
कभी-कभी तो पत्थर की ठोकर से भी नहीं आती खरोंच,
और कभी-कभी ज़रा सी बात से बिखर जाता है इन्सान ।
गुजारिश हमारी वह मान न सके,
मज़बूरी हमारी वह जान न सके,
कहते हैं मरने के बाद भी याद रखेंगे,
जीते जी जो हमें पहचान न सके.
नशा हम करते हैं,
इलज़ाम शराब को दिया जाता है,
मगर इल्ज़ाम शराब का नहीं उनका है,
जिनका चेहरा हमें हर जाम में नज़र आता है!
किसने कहा आपकी याद नही आती,
बिना याद किये कोई रात नही जाती,
वक्त बदल जाता है, आदत नही जाती,
आप खास हो, ये बात हर बार तो कही नही जाती।
तू भी आईने की तरह बेवफा निकला,
जो समने आया उसी का हो गया ।
तुम गुज़ार ही लोगे ज़िन्दगी, हर फन में माहिर हो...!!!
पर मुझे तो कुछ भी नहीं आता, तुम्हे चाहने के सिवा...!!!
सवालों में ही रहने दो मुझको
यकीं मानो,....
मैं जवाब बहुत कड़वा हूं
मै चुपके से टूट गया,,,,,
गिर जाता तो शोर होता...!!
हमे पता है की तुम कहीं और के मुसाफिर हो,
हमारा शहर तो यूँ ही बिच में आया था !!
मेरी बंदगी है वो बंदगी जो चाँद की चांदनी से कम नही नही...
मेरा इक नज़र तुम्हें देखना बा खुदा नमाज़ से कम नही
खर्च कर दिया है खुद को पूरा साहब,
वो कहता है की अभी हिसाब अधूरा है !!
आसमान पर ठिकाने किसी के नही होते।
जो ज़मी के नही होते वो कही के नही होते।
कहती हैं मुझे ज़िन्दगी कि मैं आदतें बदल लूँ,
बहुत चला लोगों के पीछे,अब थोड़ा खुद के साथ चल लूँ..
महफ़िल में चल रही थी हमारे कत्ल की तैयारी,
हम पहुँचे तो बोलें बहुत लम्बी उम्र है तुम्हारी !
फिर कोई जख्म मिलेगा तैयार रह ऐ दिल,
कुछ लोग फिर पेश आ रहे हैं बहुत प्यार से..
दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है
दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे
जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा न हों
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
एक_कतरा ☝ ही सही मौला 👤 लेकिन ऐसी_नियत ☺ दे की,
किसी_प्यासे 😔 को देखु 👀 तो पानी 🌊 बन_जाऊ ।।
कुछ इस तरह से मैने ज़िन्दगी को आसान कर दिया,
किसी से माफ़ी माँग ली किसी को माफ़ कर दिया
जो निभा दे साथ जितना ,उस साथ का शुक्रिया,
छोड़ दे जो बीच मे , उस हाथ का भी शुक्रिया.
ज़माना बन जाए कागज़ का और समंदर हो जाए स्याही का,
फिर भी कलम लिख नहीं सकती दर्द तेरी जुदाई का !!🌹🌹
_रोज़ रोज़ जलते हैं, फिर भी खाक़ न हुए...
अजीब हैं कुछ ख़्वाब, बुझ कर भी राख़ न हुए....🌹💞🌹
उसने कहा “भरोसा दिल पर इतना नहीं करते”
मैंने कहा “प्यार में कभी सोचा नहीं करते”
उसने कहा “बहुत कुछ दुनिया के नजरों में हैं”
मैंने कहा “जब तुम साथ हो तो हम कुछ और देखा नहीं करते” !!
🌹💞🌹
मै तो फना हो गया आपकी एक झलक देखकर
ना जाने हर रोज आईने पर क्या गुजरती होगी
यूँ पलके बिछा कर तेरा इंतज़ार करते है,
यह वो गुनाह है जो हम बार बार करते है,
जलकर हसरत की राह पर चिराग,
हम सुबह और शाम तेरे मिलने का इंतज़ार करते है.
आजकल वो बुलाते नहीं
और यूँ हम भी उनके घर जाते नहीं,
क़ायम है एक रिश्ता अज़ीज़ उनसे
वो कुछ कहते नहीं; और हम अपनी सुनाते नहीं !
*महफिल थी दुवाओं की,*
*तो मैंने भी एक दुआ मांग ली...*
*तू अपने सदा खुश रहें,*
*मेरे साथ भी, मेरे बाद भी...
मेरे दिल का दर्द किसने देखा है,
हमे बस खुदा ने ही तड़पते देखा है.
हम तन्हाई मे बैठ के रोते है,
पर लोगो ने हमे हर वक़्त हस्ते देखा है
शुरुवत में बड़ी-बड़ी कसमे खाते है ये लोग,
लेकिन उन्हे निभाते नही है ये लोग,
प्यार में धोके दे जाते है प्यार करने वाले
बेवफ़ाई करके किसी और का हाथ थाम लेते है ये लोग.!!!
*बेहतरीन होता है वो रिश्ता* *जो तकरार होने के बाद भी सिर्फ एक मुस्कुराहट पर पहले जैसा हो जाए*.....।।💖🦋
तेरे ख्यालों की मैं राह ढूंढ लेता हूँ!
तेरे जख्मों की मैं आह ढूंढ़ लेता हूँ!
ढूंढ लेती हैं मुझको तन्हाइयाँ जब भी,
मयकदों में अपनी पनाह ढूंढ लेता हूँ!
*किसी ने पूछा इस दुनिया में आपका अपना कौन हैं..,*
*मैंने हंसकर कहा,*
*जो मुझे पढ़ रहा है 😊🙏..*
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
*मुस्कुराना तो मेरी शख्सियत का एक हिस्सा है दोस्तों,*
*तुम मुझे खुश समझ कर दुआओ में भूल मत जाना*
"साज़िशें लाखो बनती है,
मेरी 'हस्ती' मिटाने की।
बस 'दुआयें' आप लोगों की,
उन्हें 'मुकम्मल' नही होने देती!"
गम की बारिश ने भी तेरे नक्श को धोया नही..
तूने मुझको खो दिया मैंने तुझको खोया नही...
तू न सही तेरी यादें तो हैं, जो आज भी महकती हैं
मुझमे साँस बनकर....
रहने दो अब, तुम मुझे पढ़ ना सकोगे !
बरसात में भीगे हुए, कागज़ की तरह हूँ मैं !!
हम तेरे शहर में आयें हैं.. मुसाफिर की तरह.. हमें एक मुलाकात का मौका दे दे..
ना खुशी खरीद पाता हू ना ही गम बेच पाता हूँ
फिर भी मै ना जाने क्यु हर रोज कमाने जाता हूँ .