तेरा वादा न पूरा हुआ, फिर शाम से सहर हो गई , मुझको खिड़की पे बैठे हुए ,आज भी रात भर हो गई |
नया है चाँद सुरज के बराबर कौन है , रोशनी कम हो तो देखों के छत पे कौन है |
खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें , दिलों में उलफ़त नई नई है , अभी तकल्लुफ़ है गुफ़्तुगु में , अभी मुहब्बत नई -नई है |
अभी न आएगी नींद तुमको , अभी न हमको सूकों मिलेगा , अभी तो धड़केगा दिल और ज़्यादा , अभी ये चाहत नई -नई है |
है तअल्लुक जो टूटा तो टूटा रहे , मुझसे रूठा है कोई तो रूठा रहे , इन दिनों में तो ख़ुद से भी नाराज़ हूँ , कौन मुझसे खफा है मुझे क्या पता |
मुहब्बतों का सलीका सीखा दिया मैंने , तेरा बगैर भी जी कर दिखा दिया मैंने , बिछड़ना मिलना तो किस्मत की बात है लेकिन , दुआएं देके तुझे शायर बना दिया मैंने |
रात को चाँदनी जब खिले , दिल को आबाद करता हूँ में , एक भूली हुई खुशी के लिए , लाख ग़म याद करता हूँ में |
आँख उठी मुहब्बत ने अंगड़ाई ली , दिल का सौदा हुआ चाँदनी रात में | उनकी नज़रों ने कुछ ऐसा जादू किया , लूट गए हम तो पहली मुलाक़ात में |
हम होश भी अपने भूल गए , ईमान भी अपना भूल गए , एक दिल ही नहीं उस रात में हम , न जाने क्या – क्या भूल गए , औरों के फ़साने याद रहे , हम अपना फसाना भूल गए |
चाँदनी रात है वो मेरे साथ है , आज रुत ये सुहानी गजब ढाएगी ,
आज की रात ज़रा प्यार की बातें कर ले कल तेरा शहर मुझे छोड़ के जाना होगा |
सर्द रातों को सताती है जूदाई तेरी , आग बुझती नहीं सीने में लगाई तेरी |
चाँद बनकर में आ जाऊंगा रात में , तुम चाँदनी में नहाने का वादा करो |
घर सजाना तो आखिर मेरा काम है , तुम मेरा घर बसाने का वादा करो |
हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएंगे , अभी कुछ बे -क़रारी है सितारों तुम सो जाओ |
बिन तुम्हारे कभी नहीं आई , क्या मेरी नींद भी तुम्हारी है |
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा , आज फिर याद कोई चोट पुरानी आई |
रात रंगीं हुई दिन सुहाने लगे , वो ख़यालों में दिन रात आने लगे |
नींद रातों की उड़ा देते हैं , हम सितारों को दुआ देते हैं |
रोज़ अच्छे नहीं लगते आँसू , ख़ास मौकों पे मज़ा देते हैं |
हाए वो लोग जो देखे भी नहीं , याद आयें तो रुला देते हैं |
ये अलग बात वो मूझे हासिल नहीं है मगर उसके सिवा कोई मेरे इश्क़ के काबिल नहीं है |
कल मिला वक़्त तो ज़ुल्फें तेरी सुलझा लूँगा , आज उलझा हों ज़रा वक़्त के सुलझाने में |
रोज़ तारों की नुमाइश में ख़लल पड़ता है , चाँद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है , उनकी याद आई है साँसों ज़रा आहिस्ता चलो , धडकनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है |
आपके लिए चाँद भेज दूँ , होंठों पे मुस्कान भेज दूँ , सारे अरमान भेज दूँ , एक हंसी खवाब भेज दूँ |
आप पलकें झुका दीजिये , एक बार फिर मुस्कुरा दीजिये , रात भर जागते रहतें हैं हम , अपना हंसीं चेहरा दिखा दीजिये |
ए आँखों अब सो जाओ , खवाबों में उनसे मुलाकात होगी , इंतज़ार ज़िदगी भर रहेगा तेरा , इसी खुशी में रात बसर होगी |
हुई है शाम तो आँखों में बस गया फिर तू , कहाँ गया है मेरे शहर के मुसाफिर तू |
प्यार में अक्सर हमारा दिल टूट जाता है और हम अपने जज़्बात शायरी के ज़रिये अपने Lover तक पहुंचाते हैं |शायरी टूटे दिल का सबसे अच्छा सहारा होता है |अक्सर प्यार में नाकाम होकर दर्द भरी शायरी के जरिये हम अपने दर्द को कम करते हैं |इस पोस्ट में आपको best शायरों की दर्द भरी ग़ज़लें और दर्द से भरे बेहतरीन शेर पढ़ने को मिलेंगे |हर एक शेर में ग़म का अपना मज़ा है |आपको इस पोस्ट में broken heart video भी मिलेगी जो शायद ही किसी और पोस्ट में आपको मिले |
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है , आखिर इस दर्द की दवा क्या है |
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार , या इलाहि ये मजरा क्या है|
में भी मूंह में ज़बान रखता हूँ , काश पूछो के मुद्दआ क्या है |
जब की तुझ बिन नहीं कोई मौजूद , फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
हाँ भला कर तेरा भला होगा और दरवेश की सदा क्या है
जान तुम पर निसार करता हूँ मैं नहीं जानता दुआ क्या है
मैं ने माना कि कुछ नहीं ‘ग़ालिब’ मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है
बे नाम सा या दर्द ठहर क्यों नहीं जाता , जो बीत गया है वो गुज़र क्यों नहीं जाता |
सब कुछ तो है क्या ढूंढती रहती हैं निगाहें , क्या बात है में वक़्त पे घर क्यों नहीं जाता |
वो एक ही चेहरा तो नहीं सारे जहाँ में , जो दूर है वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता |
मैं अपनी ही ऊलझी हुई राहों का तमाशा , जाते हैं जिधर सब में उधर क्यों नहीं जाता |
वो नाम जो बरसों से ना चेहरा न बदन है , वो खवाब अगर है तो बिखर क्यों नहीं जाता |
ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा (clothes) है जिसमे हर घड़ी दर्द के पेवन्द लगे जाते हैं
दर्द ऐसा है की जी चाहे है ज़िंदा रहिए , ज़िंदगी ऐसी की मर जाने को जी चाहे है |
दोस्तों को भी मिले दर्द की दौलत या रब , मेरा अपना ही भला हो मुझे मंजूर नहीं |
अब ये भी नहीं ठीक के हर दर्द मिटा दें , कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं |
कब ठहरेगा दर्दे दिल कब रात बसर होगी , सुनते थे वो आएंगे सुनते थे की सहर होगी |
दर्द था बेकली थी बहुत दिन हुए , ज़िंदगी -ज़िंदगी थी बहुत दिन हुए , आज तक मिल रही हैं सजाए हमें , एक खता हो गई थी बहुत दिन हुए
दर्द आँखों में था दिल में तूफाने ग़म , और लब पर हंसी थी बहुत दिन हुए |
दर्द उठता है मुसकुराता हों , अश्क आते हैं पर नहीं रोता , खवाब में भी न आ सके कोई , इसलिए रात भर नहीं सोता