हम तो फूलों की तरह हैं अपनी आदत से बेबस तोड़ने वाले को भी खूशबू की सजा देतेे हैं
कल रात आशुओ का सैलाब लिये हम तन्हा बैठे थे, ना कोई साथी था ना कोई साया था बस तुम थे हम थे और हमारी यादे
लगा लेना गले से हमें जो जिंदगी बोझल हो जाए, ढूंढ लेना हमे अपनी रूह में तुम जो आंखो से कभी ओझल हो जाए
जब कभी जाओगे छोड़ कर तुम मेरा साथ, पलट कर देख लेना हर कदम पर मिलेगा, मेरा साया तुम्हारे साथ ओ मोरे पर्देशी पिया
लगने दो महफिल आज, हम शायरी को #जुबाँ देते हैं, तुम गालिब की किताब उठाओ हम हाले दिल बयाँ करते हैं.
इश्क को आग होने दीजिए, फिरदिल को राख होने दीजिए, तब जाकर#पकेगी बेपनाह मोहब्बत जो भी हो रहा बेहिसाब होने दीजिए
प्यार कहो या पागलपन, मोहब्बत कहो या नादानियां तुम्हारे होने से ही तो है हमारे दिल की ये बेचैनियां
किसी ने यूँ ही पूछ लिया हमसे, कि दर्द की कीमत क्या है, हमने हंसते हुए कहा की पता नहीं, कुछ अपने मुफ्त में दे जाते है
सुनो मै ख़्वाब बड़े हसीन सजाती हूं, मेरे हर ख्वाब की तस्वीर तुम ,चलो आज तुम्हें बताती हूं
मुफ़लिसी जानते हो क्या है? रोटी खिलाने के लिए माँ का न होना !!
मैं भी उतना ही बुरा हो गया हूँ जितनी अच्छी होने का ढोंग तुम करती हो
किसी को कोई टेंशन हो तो हमसे कहिये, मैं उससे बड़ी टेंशन देकर पहले वाली कम कर दूंगा.
तू मेरे दिल में है ये सबको ख़बर है, क्या वज़ह है कि बस तू ही बेखबर है
रूठना भी है हसीनों की अदा में शामिल, आप का काम मनाना है मनाते रहिये.!!
बेहिसाब भी ना रखिये इश्क़ किसी से यारो, अक्सर ज्यादा मिले तो कीमतें कम लगती है।
दूसरों_की मानोगे तो मुझे बुरा ही पाओगे, लेकिन, खुद मिलोगे तो वादा रहा मुस्कुरा कर जाओगे.
सिर्फ इसलिए कि कोई आपसे प्यार करे, अपने आप को मत बदलिये
मोहब्बत का नतीजा, दुनिया में हमने बुरा देखा, जिन्हे दावा था वफ़ा का, उन्हें भी हमने बेवफा देखा.
इतरा लो कि तुझको हासिल हूँ, बाकी के लिए तो बस हसरत हूँ...
तुझे देखकर उम्र का लिहाज क्या करें, इश्क में सब जायज़ है
कहाँ माँगा है तुमसे कुछ, बस जी भर के देखना ही तो चाहता हूँ।
जानते हो ख्वाब क्या होते है? वो जहां, जहाँ तुम मेरे होते हो.
अजनबी हूँ आज, शायद कल अपना लगूं, रफ़्ता-रफ़्ता क्या पता, तुमको भी अच्छा लगूं.
हम तो चाहते है लोग हमसे ❣नफरत करें, वैसे मोहब्बत❣ भी लोग कोन सी सच्ची करते है
जिंदगी बहुत खूबसूरत है मगर दूर से
मेरा दिल काला है तो काला ही सही, औरों की तरह रंग तो नहीं बदलता ना
मुस्कुराने की आदत भी कितनी महेंगी पड़ी हमको, भुला दिया सबने ये कहकर की तुम तो अकेले भी खुश रह लेती हो.
गजब का प्यार था उसकी आँखों में, महसूस तक न होने दिया कि ये आखरी मुलाकात है
जिंदगी की कशमकश मे थोड़ा उलझ गये है दोस्तो, वर्ना हम तो उनमे से है, जो दुश्मनो को भी अकेला महसूस नही होने देते।
होने दो ज़माने को तुम्हारी खूबियों पर फ़िदा, हमने तो तेरी खामियों पर ही दिल हारा है
किया है इशारा जब तुमने, करीब आने का मेरे दिल मे चाहत है अब तुझपे मचलने का
कोई कुछ भी कहे कहता रहे कहने दो आदत है, हमारा दिल जो चाहेगा वो हम करते ही जायेंगे..
कौन कहता है दुनिया में हमशक्ल नहीं होते, देख कितना मिलता है तेरा दिल मेरे दिल से.!
रूह के रिश्तों को किसी कसौटी पर ना कस कुछ रिश्ते अहसास से गुजर जाया करते हैं
मुझ पे अपना जुर्म साबित हो ना हो लेकिन, लोग कहते हैं के उस को बेवफ़ा मैंने किया
कुछ तो सोचा होगा कायनात ने तेरे-मेरे रिश्ते पर, वरना इतनी बड़ी दुनियां में तुझ से ही बात क्यों होती.
दिल भी गुस्ताख हो चला था बहुत, शुक्र है की यार ही बेवफा निकला
इतनी मुश्किल भी ना थी राह मेरी मोहब्बत की, कुछ ज़माना खिलाफ हुआ कुछ वो बेवफा हो गए।
सिर्फ एक ही बात सीखी इन हुस्न वालों से हमने, हसीन जिसकी जितनी अदा है वो उतना ही बेवफा है।
बंद कर देना खुली आँखों को मेरी आ के तुम, अक्स तेरा देख कर कह दे न कोई बेवफा।
मिल ही जाएगा कोई ना कोई टूट के चाहने वाला, अब शहर का शहर तो बेवफा हो नहीं सकता।
रोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लिपट के, ऐसा लगा के जैसे कभी बेवफा न थे वो।
मोहब्बत का नतीजा दुनिया में हमने बुरा देखा, जिन्हें दावा था वफ़ा का उन्हें भी हमने बेवफा देखा।
तेरा ख्याल दिल से मिटाया नहीं अभी, बेवफा मैंने तुझको भुलाया नहीं अभी।
रुशवा क्यों करते हो तुम इश्क़ को, ए दुनिया वालो, मेहबूब तुम्हारा बेवफा है, तो इश्क़ का क्या गनाह।
वो मिली भी तो क्या मिली बन के बेवफा मिली, इतने तो मेरे गुनाह ना थे जितनी मुझे सजा मिली।
काम आ सकी न अपनी वफायें तो क्या करें, उस बेवफा को भूल न जाये तो क्या करे।
अब के अब तस्लीम कर लें तू नहीं तो मैं सही, कौन मानेगा कि हम में से बेवफा कोई नहीं।
खुदा ने पूछा क्या सज़ा दूँ उस बेवफ़ा को, दिल ने कहा मोहब्बत हो जाए उसे भी।
बेवफाओं की इस दुनियां में संभलकर चलना, यहाँ मुहब्बत से भी बर्बाद कर देते हैं लोग।