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आसमाँ से कभी देखी न गई अपनी खुशी,अब यह हालात है की हम हँसते हुए डरते है

मेरा भी बड़ा अजीब किस्सा है दोस्तों,मेरे अपनों ने अपने मतलब के लिए मुझे बरबाद कर दिया

मेरी तो ख़्वाहिश थी की मैं सबको रौशनी बाँटू,मगर ज़िन्दगी तूने बहुत जल्द बुझा दिया मुझको

गमो का बोझ होता तो उठा भी लेते,ज़िन्दगी बोझ बन जाए तो उठाये कैसे

शिकायत मौत से नहीं अपनों से थी मुझे,जरा सी आँख बंद क्या हुई वो कब्र खोदने लगे

एक ‪ज़ख्म‬ नहीं यहाँ‬ तो सारा ‪वजूद‬ ही ज़ख्मी‬ है,दर्द‬ भी ‪हैरान‬ है की उठूँ‬ तो कहाँ से उठूँ

दर्द की भी अपनी एक अदा है,वो भी सहने वालों पर ही फिदा है

कहाँ‬ मिलता है कभी कोई समझने वाला,‪जो‬ भी मिलता है बस समझा के चला जाता है

मैं परेशांन हूँ ज़िंदगी और मौत से,कल ज़िंदगी को मनाया तो आज मौत रूठ बेठी है

हालात ने कुछ यूँ घूर के देखा,की हसरतों की तितली बेचारी डर के उड़ गयी

  सिर्फ टूटे हुए लोग ही जानते है,की टूटने का दर्द क्या होता है

  ना जाने किस मिट्टी को मेरे वजूद की ख्वाहिश थी,मैं इतना तो बना भी न था जितना मिटा दिया गया हूँ

बहुत अन्दर तक तबाही मचाते है वो आंसू ,जो आँखों से बह नहीं पाते

इसे इत्तेफाक समझो या दर्दनाक हकीकत, आँख जब भी नम हुई, वजह कोई अपना ही निकला !!

आदत बना ली मैंने खुद को तकलीफ देने की,ताकि जब कोई अपना तकलीफ दे तो ज्यादा तकलीफ ना हो !!

जिन्दगी भर कोई साथ नहीं देता यह जान लिया हमने,लोग तो तब याद करते है जब वो खुद अकेले होते है !!

ज़िन्दगी में ज़िन्दगी से हर चीज़ मिली,मगर उनके बाद ज़िन्दगी न मिली !!

टूटे हुए सपनो और छूटे हुए अपनोने मार दिया, वरना खुशी खुद हमसे मुस्कूराना सिखने आया करती थी !!

ना उजाड़ ए ख़ुदा किसी के आशियाने को, बहुत वक़्त लगता है, एक छोटा सा घर बनाने को !!

न कसूर इन लहरो का था, न कसूर उन तूफानो का था, हम बैठ ही लिये थे उस कश्ती में, नसीब में जिसके डूबना था !!

ख़ुदा तूने तो लाखो की तकदीर संवारी है,मुझे दिलासा तो दे की अब तेरी बारी है !!

बिकती है ना ख़ुशी कहीं, ना कहीं गम बिकता है,लोग गलतफहमी में है की शायद कहीं मरहम बिकता है !!

फिक़र तो तेरी आज भी है पर, जिक़र करने का हक़ नहीं रहा !!

दुनियावालों ने तो फकत उसको हवा दी थी, लोग तो घर के ही थे आग लगाने वाले !!

लड़ना ही मुकद्दर है तो फिर लड़ के मरेंगे,ख़ामोशी से मर जाना मुनासिब नहीं होगा !!

ना जाने किन रैन बसेरो की तलाश है इस चाँद को,रात भर बिना कंबल के तन्हा भटकता है आसमान मे !!

मैं तुमसे अब कुछ नहीं माँगता ए ख़ुदा,तेरी देकर छीन लेने की आदत मुझे मंज़ूर नहीं !!

तमाम जख्मो के साथ इसलिये जी रही हु की,एक दिन तो वो मिलेगा जो मरहम लगाना जानता है !!

कोई और इल्जाम है तो वो भी देते जाओ,हम तो पहले से ही बुरे थे थोड़े और सही !!

सोचते है सीख ले हम भी बेरुखी करना सबसे, सब को मोहब्बत देते देते हमने अपनी क़दर खो दी है !!

बड़ी बरकत है तेरे इश्क़ में,जब से हुआ है, कोई दूसरा दर्द ही नहीं होता !!

तुम अपने ज़ुल्म की इन्तहा कर दो,फिर कोई हम सा बेजुबां मिले ना मिले !!

काश ! ऐसी लापरवाही हो जाये मुझसे की, मैं अपनी गम की गठरी कहीं भूल जाऊ !!

क्या खूब सिला दिया है दिल लगाने का, लहजा भी भूल गया हूँ मैं मुस्कुराने का !!

समझौतो की भीड़-भाड़ में सबसे रिश्ता छुट गया,इतने घुटने टेके हमने आख़िर घुटना टूट गया !!

कैद करके तेरे चहेरे को,मेरी आँखों ने ख़ुदकुशी कर ली !!

ये ना पुछ मै शराबी कयुँ हुआ, बस युं समझ ले की,गमों के बोझ से नशे की बोतल सस्ती लगी !!

काट कर मेरी जुबां कर गया खामोश मुझे, बेखबर को नहीं मालूम की मन बोलता है !!

लगी प्यास गज़ब की थी और पानी में जहर भी था, पीते तो मर जाते और न पीते तो भी मर जाते !!

नए लोग से आज कुछ तो सीखा है,पहले अपने जैसा बनाते है फिर अकेला छोड़ देते है !!

लोग अकसर पूछते है किसके लिये लिखते हो,अौर अकसर दिल यही केहता है काश कोई होता !!

तकदीर ने यह कहकर बङी तसल्ली दी है मुझे की, वो लोग तेरे काबिल ही नहीं थे,जिन्हें मैंने दूर किया है !!

हमसे खेलती रही दुनिया ताश के पत्तो की तरह, जिसने जीता उसने भी फेंका और जिसने हारा उसने भी फेंका !!

वक़्त भी लेता है करवटे कैसी कैसी, इतनी तो उम्र भी नहीं थी, जितने हमने सबक सीख लिए !!

कीसी की तलाश में मत नीकलो, लोग खो नहीं जाते, बदल जाते है !!

ख़्वाहिशों का कैदी हूँ मैं, मुझे हकीक़ते सज़ा देती है !!

आंसुओ का कोई वजन नहीं होता दोस्त,पर न जाने इनके गिर जाने से मन हल्का क्युँ हो जाता है !!

आज जिस्म में जान है तो देखते नही हैं लोग,जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा हटा कर देखेंगे लोग !!

जिन्दगी बैक टु बैक दर्द दे रही है,डर है कहीं बड़ा होकर अल्ताफ राजा‬ न बन जाऊ !!

न जाने कब खर्च हो गये, पता ही न चला, वो लम्हे जो छुपाकर रखे थे जीने के लिए !!

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