ये लफ़्ज़ों की शरारत है, ज़रा संभाल कर लिखना तुम; मोहब्बत लफ्ज़ है लेकिन ये अक्सर हो भी जाती है।
अगर हो इजाज़त, तो तुमसे एक बात पूछ लू। वो जो इश्क हमसे सीखा था, अब किससे करते हो…??
दिल ले कर दिल तोड़ देना, ये प्यार का इनाम ना हो; प्यार हो ऐसा जिस पर कोई इलज़ाम ना हो; अगर कोई किसी का दिल ना तोड़े तो; यह प्यार कभी बदनाम ना हो।
प्यार तो जिंदगी का अफ़साना है, इसका अपना ही एक तराना है, पता है की सबको मिलेंगे सिर्फ आँसू, पर न जाने दुनिया में हर कोई क्यों, ईसका दीवाना है..?
इंसान अगर प्यार में पड़े तो ग़म में पड़ ही जाता है; क्योंकि प्यार किसी को चाहे जितना भी करो, थोड़ा सा तो कम पड़ ही जाता है।
हो सकती है मोहब्बत ज़िंदगी में दोबारा भी, बस हौसला हो एक दफा फिर बर्बाद होने का…
इंसान ज़िंदगी में सिर्फ एक बार मोहब्बत करता है; और बाकी मोहब्बतें पहली मोहब्बत को भुलाने के लिए करता है।
किसी फ़क़ीर ने सच ही कहा है – अपनी तक़दीर की आजमाइश ना कर, अपने गमो की नुमाइश ना कर, जो तेरा है तेरे पास खुद आएगा, रोज रोज उसे पाने की ख्वाहिश ना कर…
दुनियां का हर एक इंसान अपने पाँव भिगोए बिना शायद समुंदर पार कर सकता है, लेकिन आँखें भिगोए बिना प्यार नहीं कर सकता।
गंगा सागर से मिल कर बोली, मुझे अपने में समाते तो फिर सागर कहलाते हो? सागर बोला, “अपने आंसुओं को दूर तक बरसाया है, तब जाकर तुझको पाया है!”
मेरे पास वक़्त नहीं है उन लोगो से नफ़रत करने का जो मुझसे नफ़रत करते है, “क्योंकि मैं व्यस्त हूँ उन लोगो में”जो मुझसे प्यार करते है !
अजनबी रहना पर किसी का इंतज़ार मत करना; किसी के प्यार के लिए खुद को बेकरार मत करना; अच्छा साथी मिल जाए तो हाथ थाम लेना; पर दिखावे के लिए किसी से प्यार मत करना।
वक़्त और प्यार ज़िंदगी में बहुत ख़ास होते हैं। लेकिन वक़्त किसी का नहीं होता; और प्यार हर किसी से नहीं होता।
दर्द होता नहीं दुनिया को दिखाने के लिए, हर कोई रोता नहीं आँसू बहाने के लिए, रुठने का मज़ा तो तब आता है, जब कोई अपना होता है मनाने के लिए…
जब किसी की सच्ची मोहब्बत मालूम करनी हो, तो उसके गुस्से में अपने लिए अलफ़ाज़ और जज़्बात देखो!
क्यों किसी से इतना प्यार हो जाता है; एक पल का इंतज़ार भी दुश्वार हो जाता है; लगने लगते हैं अपने भी पराये; और एक अजनबी पर ऐतबार हो जाता है।
कल रात मेरी आँख से एक आँसू निकल आया, मैने उस से पूछा तू बाहर क्यों आया, तो उसने मुझे बताया की, तुम्हारी आँखों में कोई इतना है समाया, की चाहकर भी में अपनी जगह न बना पाया…
प्यार में कुछ-कुछ होता है; प्यार में दिल तो पागल है; प्यार में कभी ख़ुशी कभी गम; प्यार एक ऐसी पहेली है जो ना तुम जानो ना हम।
किया है प्यार तो धोखा नहीं देंगे, आपको आँसुओ का तोहफा नहीं देंगे, आप दिल से रोये हमें याद करके, ऐसा हम कभी आपको मौका नहीं देंगे
इस दिल से उसको भुला नहीं सकते; ऐसा क्यों है ये बता नहीं सकते; मुश्किल तो ये है कि वो यकीन नहीं करते; और अफ़सोस, हम दिल चीर कर दिखा नहीं सकते।
जान से भी ज़्यादा उन्हें प्यार किया करते थे, याद उन्हें दिन-रात किया करते थे, अब उन राहों से गुज़रा नहीं जाता, जहाँ बैठकर उनका इंतज़ार किया करते थे.
अगर वो अपनी मोहब्बत हमें बना लें; हम उनका हर ख्वाब अपनी पलकों पे सजा लें; करेगी कैसे मौत हमें उनसे जुदा; अगर वो हमें अपनी रूह में बसा लें।
ना पूछो हाल मुझसे धड़कनो की रफ़्तार का; असर आज भी है आँखों में मेरे दीदार का; लिख दिया है अपना अफसाना लफ्ज़ो में तुझको; सुन लो मेरी आवाज में एक नगमा प्यार का!
रोने की सजा है ना रुलाने की सजा है ये दर्द मोहब्बत को निभाने की सजा है हसते है तो आँख से निकल आते है आँसू ये एक शख्स को बे-इंतहा चाहने की सजा है…
दिल तोड़ने वालों को सजा क्यों नहीं मिलती; हर किसी को प्यार में सफलता क्यों नहीं मिलती; लोग कहते हैं इश्क तो बीमारी है; तो फिर मेडिकल स्टोर में इसकी दवा क्यों नहीं मिलती।
फ़िज़ा पर असर हवाओं का होता हैं, मोहब्बत पर असर अदाओं का होता हैं, कोई ऐसे ही किसी का दीवाना नहीं होता, कुछ कसूर निगाहो का भी होता हैं…
नाराज हमेशा खुशियाँ ही होती है, ग़मों के कभी इतने नखरे नहीं होते।
जब रूह किसी बोझ से थक जाती है, एहसास की लौ और भी बढ़ जाती है, मैं बढ़ता हूँ ज़िन्दगी की तरफ लेकिन, ज़ंजीर सी पाँव में छनक जाती है।
किस्मत में लिखा था आशना दर्द से होना, तू ना मिलता तो किसी और से बिछड़े होते।
ढूंढोगे कहाँ मुझको, मेरा पता लेते जाओ, एक कब्र नई होगी एक जलता दिया होगा।
आख़िर तुम भी उस आइने की तरह ही निकले, जो भी सामने आया तुम उसी के हो गए।
उनकी बातों का दौर उनकी आवाज का दीवाना वो दिन भी क्या दिन थे जब वो पास थे मेरे और अजनबी था जमाना।
मोहब्बत का रुतबा तुम क्या जानो हमदम..!! अगर तुम्हारे आवाज़ में दर्द है, तो मेरी आँखों में भी इश्क़ है.
खुशबू ने फूल को एक अहसास बनाया; फूल ने बाग को कुछ खास बनाया; चाहत ने मोहब्बत को एक प्यास बनाया; और इस मोहब्बत ने एक और देवदास बनाया !!!
इस दिल को किसी की आस रहती है, निगाहों को किसी सूरत की प्यास रहती है, तेरे बिना किसी चीज़ की कमी तो नही, पर तेरे बेगैर जिन्दगी बड़ी उदास रहती है..
तुझे फुर्सत ही न मिली मुझे पढ़ने की वरना, हम तेरे शहर में बिकते रहे किताबों की तरह।
उसे लगता है कि उसकी चालाकियाँ मुझे समझ नहीं आती, मैं बड़ी खामोशी से देखता हूँ उसे अपनी नज़रों से गिरते हुए।
अगर आप अजनबी थे तो लगे क्यों नहीं, और अगर मेरे थे तो मुझे मिले क्यों नहीं।
चलो माना कि हमें प्यार का इज़हार करना नहीं आता, जज़्बात न समझ सको इतने नादान तो तुम भी नहीं।।
निगाहें नाज करती है फलक के आशियाने से, खुदा भी रूठ जाता है किसी का दिल दुखाने से ।
टूटे हुए दिल भी धड़कते है उम्र भर, चाहे किसी की याद में या फिर किसी फ़रियाद में।
जख्म ऐसा दिया कोई दवा काम न आयी, आग ऐसी लगी की पानी से भी बुझ न पायी, आज भी रोते हैं उनकी याद में… जिन्हें हमारी याद आज तक नहीं आई।
दिल को उसकी हसरत से खफ्फा कैसे करू, अपने रब को भूल जाने की ख़ाता कैसे करू, लहू बनकर राग राग मे बस गया है वो लहू को इस जिस्म से ज़ुदा कैसे करू.
दर्द से अब हम खेलना सीख गए; हम बेवफाई के साथ जीना सीख गए; क्या बताएं किस कदर दिल टूटा है मेरा ; मौत से पहले, कफ़न ओढ़ कर सोना सीख गए।
किसी के दिल का दर्द किसने देखा है; देखा है, तो सिर्फ चेहरा देखा है; दर्द तो तन्हाई मे होता है; लेकिन तन्हाइयो मे लोगों ने हमे हँसते हुए देखा है!
इश्क़ का तेरी एक यही तो सिला हे, याद तुझे करके मेरा दिल भी जला हे. तेरी यादो को हम कैसे भुला दे, सब कुछ हारकर एक यही तो मिला हे.
जिनकी हसरत थी उनका प्यार ना मिला, जिनका बरसो इंतेज़ार किया उनका साथ ना मिला, अजीब खेल होते हे ये मोहब्बत के, किसी को हम ना मिले और कोई हमे ना मिला.
हमने आंसु को बहोत संजोया के तन्हाई मे आया करो, भारी महफ़िल मे हमारा मज़ाक ना उड़ाया करो, इस बात पर आंसु ने तड़प कर कहा, महफ़िल मे आपको तन्हा आप को पाते हे, इस लिए हम चले आते हे.
मिटा सके जो दर्द तेरा वो शब्द कहाँ से लाऊँ… चूका सकूं एहसान तेरा वो प्राण कहाँ से लाऊँ… खेद हुआ है आज मुझे लेख से क्या होने वाला… लिख सकूं मैं भाग्य तेरा वो हाथ कहाँ से लाऊँ… देखा जो हालत ये तेरा छलनी हुआ कलेजा मेरा…
उनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते हैं, इश्स तरह जुदाई का घाम मिटा लेते हैं. किसी तरह ज़िकार हो जाए उनका, तो हंसस कर भीगी पलकें झुका लेतेहैं.