कुछ तो है जो बदल गया ज़िंदगी मे मेरी,अब आइने में चेहरा मेरा, हँसता हुआ नज़र नही आता !!
सुनो ! तुम एक बार पुछ लो की कैसा हु, घर में पङी सारी दवाइयाँ फेंक ना दू तो कहना !!
हालत पुछती नहीं दुनिया ज़िंदा लोगो की, चले आते है ज़नाज़े पर बारात की तरह !!
लेकर के मेरा नाम मुझे कोसती तो है, नफरत में ही सही पर मुझे सोचती तो है !!
तलब करे तो मैं अपनी आँखे भी उन्हे दे दूँ,मगर ये लोग मेरी आँखो के ख्वाब माँगते है !!
रात की तन्हाई इंसान के,हर दुख को ताजा कर देती है !!
वक़्त के एक दौर में इतना भूखा था मैं की,कुछ न मिला तो धोखा ही खा गया !!
मौत से कहना हम से नाराजगी खतम कर ले, वो लोग ही बदल गये है जिसके लिये हम जिते है !!
ज़िंदगी में लोग दर्द के सिवा दे भी क्या सकते है,मरने के बाद दो गज़ कफ़न देते है वो भी रो रो कर !!
ए चित्रकार उस्ताद मान लूंगा तुझे,दर्द भी खींच मेरी तस्वीर के साथ !!
लोग अक्सर मुझसे कहते है की बदल गये हो तुम,मैं मुस्कुरा कर कहता हूँ की टूटे हुये फूलो का रंग अक्सर बदल जाया करता है !!
ऐसा तो नही की हमको जिंदगी प्यारी नही,बात ये है कि तेरे बिना .. अब ये हमारी नही !!
है दफ़न मुझमे मेरी कितनी रौनके मत पूछ,उजड़ उजड़ कर जो बसती रही वो बस्ती हु मैं !!
नीलाम कुछ इस कदर हुए, बाज़ार-ए-वफ़ा में हम, आज बोली लगाने वाले भी वो ही थे जो कभी झोली फैला कर माँगा करते थे !!
लफ्ज बड़े बेईमान है,मरहम देने भेजा था, चोट दे आये !!
यूँ तो कटे हुए उस पेड़ को एक ज़माना हो गया,मगर ढूँढने अपना ठिकाना, परिंदा रोज आता है !!
ये वसीयत-ए-इश्क हम ही पे कर्ज क्यूँ?वो भी अदा करे मोहब्बत उसे भी थी !!
आओ देखो, खुद दुआ बन गयी हूँ मैं,याद है एक बार तुमने ही कहा था की मुझे दुआ में याद रखना !!
तलाश कर मेरी कमी को अपने दिल में एक बार,दर्द हो तो समझ लेना मोहब्बत अभी बाकी है !!
ज़ख़्म दे कर ना पूछा करो दर्द की शिद्दत,दर्द तो दर्द होता है, थोड़ा क्या, ज्यादा क्या !!
कोई और तरीक़ा बताओ जीने का,साँसे ले ….. ले …..कर थक गये है !!
क्या किस्मत है यारो….कब्रिस्तान खरीदा,तो लोगो ने मरना ही छोड़ दिया !!
सूखे पत्ते ने डाली से कहा की चुपके से अलग करना, वरना लोगो का रिश्तों से भरोसा उठ जायेगा !!
मेरे मुस्कुराते चेहरे को देख तुम मुझे क्या समझोगे…मुझे तो वो नही समझ पाया जिसने मुझे मुस्कुराना सिखाया !!
अपने हालात का खुद एहसास नहीं मुझको, मैंने औरो से सुना है की परेशान हूँ मैं !!
मेरी तबाहियों में तेरा हाथ है मगर मैं सबसे कह रही हूँ की सब मुक़्क़दर की बात है !!
सो जाता है गरीब मालिक की मार खा कर, सब के नसीब में माँ की लोरिया नही होती !!
मुझ से नाराज़ है तो छोड़ दे तन्हा मुझको, एे ज़िन्दगी, मुझे रोज़ रोज़ तमाशा न बनाया कर !!
हो जो मुमकिन तो अपना बना लो मुझको, मेरी तन्हाई गवाह है, मेरा अपना कोई नहीं !!
इस अजनबी शहर में ये पत्थर कहां से आया, लोगों की इस भीड में कोई अपना ज़रूर है !!
ऐ इश्क़ जन्नत नसीब न होगी तुझे, बड़े मासूम लोगों को तूने बरबाद किया है !!
ख्वाब, ख्याल, मोहब्बत, हक़ीक़त, गम और तन्हाई,ज़रा सी उम्र मेरी, किस-किस के साथ गुज़र गयी !!
कुछ लोग मुझे अपना कहा करते थे,सच कहूँ तो सिर्फ़ कहा ही करते थे !!
कितने मासूम होते है ये आँसू भी, ये गिरते भी उनके लिये है जिन्हें परवाह नहीं होती !!
कितनी झूठी होती है मोहब्बत की कसमे, देखो तुम भी जिंदा हो और मैं भी !!
दर्द के सिवा कभी कुछ न दिया, गज़ब के हमदर्द हो आप मेरे !!
देखो तो जरा ये दरवाजे पर दस्तक किसने दी है ?अगर इश्क है तो कह दो की अब दिल यहाँ नही रेहता !!
कट गया पेड़ मगर ताल्लुक की बात थी, बैठे रहे ज़मीन पर वो परिंदे रात भर !!
क़ाश कोई ऐसा हो, जो गले लगा कर कहे, तेरे दर्द से मुझे भी तकलीफ होती है !!
गमो में ऐसा घिरा जा रहा हूँ मैं, जरा भी नही मुस्करा पा रहा हूँ मैं !!
गम ने हसने न दिया, ज़माने ने रोने न दिया! इस उलझन ने चैन से जीने न दिया! थक के जब सितारों से पनाह ली! नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया!
उगता हुआ सूरज दुआ दे आपको! खिलता हुआ फूल खुशबू दे आपको! हम तो कुछ देने के काबिल नहीं है! देने वाला हज़ार खुशिया दे आपको!!!
बेताब तमन्नाओ की कसक रहने दो! मंजिल को पाने की कसक रहने दो! आप चाहे रहो नज़रों से दूर! पर मेरी आँखों में अपनी एक झलक रहने दो!
वो वक़्त वो लम्हे कुछ अजीब होंगे! दुनिया में हम खुश नसीब होंगे! दूर से जब इतना याद करते है आपको! क्या होगा जब आप हमारे करीब होंगे?
आँखों में तेरी डूब जाने को दिल चाहता है! इश्क में तेरे बर्बाद होने को दिल चाहता है! कोई संभाले मुझे, बहक रहे है मेरे कदम! वफ़ा में तेरी मर जाने को दिल चाहता है!
इस कदर हम उनकी मुहब्बत में खो गए! कि एक नज़र देखा और बस उन्हीं के हम हो गए! आँख खुली तो अँधेरा था देखा एक सपना था! आँख बंद की और उन्हीं सपनो में फिर सो गए!
किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नहीं ! किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नहीं ! गुनाह हो यह ज़माने की नज़र में तो क्या ! ज़माने वाले कोई खुदा तो नहीं !
किस्मत से अपनी सबको शिकायत क्यों है? जो नहीं मिल सकता उसी से मुहब्बत क्यों है? कितने खायें है धोखे इन राहों में! फिर भी दिल को उसी का इंतजार क्यों है?
कभी किसी से प्यार मत करना! हो जाये तो इंकार मत करना! चल सको तो चलना उस राह पर! वरना किसी की ज़िन्दगी ख़राब मत करना!
प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता! ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता! दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की! उस के बिना जिया नहीं जा सकता!