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पानी ने भी क्या अजीब खेल रचाया है, खेत जिसके सूखे है उसकी आँखों में नजर आया है

जरुरत जब भी थी मुझको किसीके साथ की, उन्हीं ख़ास लम्हों में मुझे छोड़ा है मेरे अपनों ने

किसीको मिल गया मौक़ा बुलन्दियों को छूने का, मेरा नाकाम होना भी किसीके काम तो आया

पानी से भरी आँखें लेकर वह मुझे घूरता ही रहा, वह आईने में खड़ा शख्स परेशान बहुत था

पलकों में आँसु और दिल में दर्द सोया है, हँसने वालो को क्या पता की रोने वाला किस कदर रोया है

गिरते हुए आँसूं कौन देखता है, झूठी मुस्कान के सब दीवाने है

मैं बुरा कैसे बन गया ? दर्द लिखता हूँ किसीको देता तो नहीं

सुना है कुछ पाने के लिए कुछ महेनत करनी पड़ती है, ना जाने मैंने कौन सी महेनत की थी दर्द को पाने के लिए

सोचती हूँ धोखे से जहर दे दूँ, सभी ख्वाहिशों को दावत पर बुला के

जिस कदर जिसकी कदर की, उस कदर बेकदर हुए है हम

वक्त से पूछकर बताना ज़रा, जख्म क्या वाकई भर जाता है

नींद मिल जाए कहीं तो भेजना जरा, बहोत सारे ख्वाब अधूरे है मेरे

ना जाने दुनिया में ऐसा क्यूँ होता है, जो सबको खुशियाँ दे वही सबसे ज्यादा रोता है

हाल पूछा न खैरियत पूछी, आज भी उसने मेरी हैसियत पूछी

काश दर्द के भी पैर होते, थक कर रुक तो जाते कहीं

किस किस को क्या इलज़ाम दूं दोस्तो, जिन्दगी में सताने वाले भी अपने थेऔर दफनाने वाले भी अपने

मेरी शायरी ही है दिल का मरहम, अगर मैं शायर ना होता तो शायद पागल होता

पलकों की हद को तोड़कर दामन पे आ गिरा,एक अश्क मेरे सब्र की तौहीन कर गया

धीरे धीरे से खत्म होता जा रहा है,वजूद कुछ उनका, वजूद कुछ हमारा

हमदर्दी ना करो मुझसे ए मेरे हमदर्द दोस्तों, वो भी बड़ी हमदर्द थी जो दर्द हजारो दे गई

आज सोचा जिंन्दा हुँ तो घूम लूँ, मरने के बाद तो भटकना ही है

अजीब मेरा अकेलापन है,तेरी चाहत भी नहीं और तेरी जरूरत भी है

बहुत खो चुका हूँ अब खोने की ताकत नही मुझ में ए खुदा, ये जो कुछ लोग मेरे है उन्हें मेरा ही रहने दे

भाई इतने ज़ख्म थे दिल पे की, हक़ीम ने इलाज़ में मौत ही लिख दी

एक सवेरा था जब हँस कर उठते थे हम,और आज कई बार बिना मुस्कुराये ही शाम हो जाती है

हवाएं बदल गई है इस कदर जमाने की,दुआएं माँग रहा हूँ होश में न आने की

आज रात जी भर के रो लूँ, सुना है कल दर्द की नीलामी में अन्धेरा भी बिकेगा

मत खोल मेरी किस्मत की किताब को,हर उस शख्स ने दिल दुखाया जिस पे नाज़ था

मुझे तूफ़ान में छोड़ के अच्छा किया,मैं जो डूब के उभरुंगा तो कुछ और निकलूंग

कुछ पल खामोशियो में खुद से रूबरू हो लेने दो यारो,ज़िन्दगी के शोर में खुद को सुना नहीं है मुद्दतो से मैंन

मेरा यूँ टुटना और टूटकर बिखर जाना कोई इतेफाक नहीं है,किसी ने बहुत कोशिश की है मुझे इस हाल तक पहुँचाने में

भीगी भीगी सी ये जो मेरी लिखावट है, स्याही में थोड़ी सी, मेरे अश्कों की मिलावट है

दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद है,देखना है की खींचता है मुझ पे पहला तीर कौन

अश्क मजबूरी नहीं समझेंगे, जाइये आप जिधर जाना है, ये दो आंखें ही करेगी अब तय, डूबना है की उभर जाना है

ज़िन्दगी गुज़र रही है, इम्तिहानो के दौर से, एक ज़ख्म भरता नहीं तो दूसरा तैयार मिलता है

इतना दर्द था मेरे आंसुओ में की,जहां जहां गिरे वो जमीन बंजर हो गई

टूटे हुए काँच की तरह चकनाचूर हो गये, किसी को लग ना जाये…इसलिए सबसे दूर हो गये

अब सज़ा दे ही चुके हो तो मेरा हाल ना पूछना, अगर मैं बेगुनाह निकला तो तुम्हे अफ़सोस बहुत होगा

तजुर्बे ने एक बात सिखाई है की, एक नया दर्द ही पुराने दर्द की दवाई है

काश, OLX पे उदासी और अकेलापन भी बेचा जा सकत

अकेले रोना भी क्या खूब कारीगरी है, सवाल भी खुद का रहता है और जवाब भी खुद क

अश्को में बहते कुछ कतरे ये बयान करते है, हमने भी कभी खुशियों के ख्वाब देखे थे

जो भी आता है एक नयी चोट देकर चला जाता है,मैं मजबूत बहुत हूँ लेकिन पत्थर तो नहीं

न जाने कैसे आग लग गई बहते हुए पानी में,हमने तो बस कुछ खत बहाऐ थे उसके नाम

वक़्त छीन लेता है बहुत कुछ,खैर मेरी तो सिर्फ मुस्कराहट ही थी

देख कर मुझे पूछ बैठा एक अजनबी तुम रातों को देर तक जागते हो,यादों के मारे हो या मोहब्बत में हारे ह

जख्म देना था तो पूरा जिस्म तेरे हवाले था,कमबख्त वार किया भी तो सिर्फ दिल पर ही किया

ये जो मेरे हालात है, एक दिन सुधर जाएंगे,लेकिन तब तक कई लोग मेरे दिल से उतर जाएंगे

लोग कहते है शराब पीने से कलेजा जलता है,और हम कहते है की शराब तभी पी जाती है जब कलेजा जलता है

तुम ना लगा पाओगे अंदाजा मेरी तबाही का, तुमने देखा ही कहाँ है मुझे शाम होने के बाद

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