कितनी अजीब है नेकियों की जुस्तजु नामज़ भी जल्दी में पढ़ते हैं फिर से गुनाह करने के लिए
बात वो कहिए कि जिस बात के सौ पहलू हों कोई पहलू तो रहे बात बदलने के लिए