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इश्क का जिसको ख्वाब आ जाता है;समझो उसका वक़्त खराब आ जाता है; महबूब आये या न आये; पर तारे गिनने का तो हिसाब आ ही जाता है!

छुपा लूं तुझको अपनी बाँहों में इस तरह,कि हवा भी गुजरने की इजाज़त मांगे; मदहोश हो जाऊं तेरे प्यार में इस तरह,कि होश भी आने की इजाज़त मांगे!

उनके आने के इंतज़ार में हमनें; सारे रास्ते दिएँ से जलाकर रोशन कर दिए!उन्होंने सोचा कि मिलने का वादा तो रात का था; वो सुबह समझ कर वापस चल दिए।

मेरे इश्क ने सीख ली है,अब वक़्त की तकसीम… वो मुझे बहुत कम याद आता है; सिर्फ इतना – दिल की हर एक धड़कन के साथ!

ना आना लेकर उसे मेरे जनाजे में; मेरी मोहब्बत की तौहीन होगी; मैं चार लोगो के कंधे पर हूंगा; और मेरी जान पैदल होगी

हम रूठे तो किसके भरोसे,कौन आएगा हमें मनाने के लिए; हो सकता है, तरस आ भी जाए आपको;पर दिल कहाँ से लाये, आप से रूठ जाने के लिए!

सब कुछ है मेरे पास पर दिल की दवा नहीं; दूर वो मुझसे हैं पर मैं खफा नहीं; मालूम है अब भी वो प्यार करते हैं मुझसे; वो थोड़ा सा जिद्दी है, मगर बेवफा नहीं!

चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो; सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो; कुछ यूँ चला है तेरे ‘इश्क’ का जादू; सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो।

खुशबू ने फूल को एक अहसास बनाया; फूल ने बाग को कुछ खास बनाया; चाहत ने मोहब्बत को एक प्यास बनाया; और इस मोहब्बत ने एक और देवदास बनाया।

खफा न होना हमसे,अगर तेरा नाम जुबां पर आ जाये; इंकार हुआ तो सह लेंगे और अगर दुनिया हंसी, तो कह देंगे; कि मोहब्बत कोई चीज़ नहीं, जो खैरात में मिल जाये; चमचमाता कोई जुगनू नहीं, जो हर रात में मिल जाये;

कोई छुपाता है, कोई बताता है; कोई रुलाता है, तो कोई हंसाता है; प्यार तो हर किसी को ही किसी न किसी से हो जाता है; फर्क तो इतना है कि कोई अजमाता हैऔर कोई निभाता है!

 हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है; जिस तरफ़ भी चल पड़ेगे, रास्ता हो जाएगा।

 अभी सूरज नहीं डूबा जरा सी शाम होने दो; मैं खुद लौट जाऊंगा मुझे नाकाम तो होने दो; मुझे बदनाम करने का बहाना ढूंढ़ता है जमाना; मैं खुद हो जाऊंगा बदनाम पहले मेरा नाम तो होने दो।

मालूम है दुनिया को ये ‘हसरत’ की हक़ीक़त; ख़ल्वत में वो मय-ख़्वार है जल्वत में नमाज़ी।

 उदास लम्हों की न कोई याद रखना; तूफ़ान में भी वजूद अपना संभाल रखना; किसी की ज़िंदगी की ख़ुशी हो तुम; बस यही सोच तुम अपना ख्याल रखना।

इस नए साल में ख़ुशियों की बरसातें हों; प्यार के दिन और मोहब्बत की रातें हों; रंजिशें नफ़रतें मिट जायें सदा के लिए; सभी के दिलों में ऐसी चाहते हों!

उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो; जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो; इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है; इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो।

 ख़बर नहीं थी किसी को कहाँ कहाँ कोई है; हर इक तरफ़ से सदा आ रही थी याँ कोई है; यहीं कहीं पे कोई शहर बस रहा था अभी; तलाश कीजिये उसका अगर निशाँ कोई है।

अपनी हर सांस में आबाद किया है तुमको, ऐ मेरी जाना बहुत याद किया है तुमको, मेरी जिंदगी में तुम नहीं तो कुछ भी नहीं, अपनी जिंदगी से बढ़कर प्यार किया है तुमको।

तुझे भूलना भी चाहूँ तो भुलाऊँ कैसे, तेरी याद से अपना दामन छुड़ाऊ तो कैसे, मेरी हर खुसी हर मुस्कान मोहताज़ है तेरी, मगर तुझको इसका एहसास दिलाऊ कैसे।

कुछ तो बात है तुझमें जो तुझे याद करने को जी चाहता है, कुछ खास है जो तुझे बाहों में भरने को जी चाहता है, हम तेरे करीब हैं या नही ये जानते नही हैं मगर ऐ सनम, फिर भी मोहब्बत में हद से गुज़रने को जी चाहता हैं

वो लम्हा भी इबादत का होता है जब इंसान किसी के काम आये।

रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ,

ऐ मुश्किलों! देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।

पूछता है जब कोई दुनिया में मोहब्बत है कहाँ,

मुस्करा देता हूँ और याद आ जाती है माँ।

ये मंजिलें बड़ी जिद्दी होती हैं, हासिल कहां नसीब से होती हैं। मगर वहां तूफान भी हार जाते हैं, जहां कश्तियां जिद्द पे होती हैं।।

जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है ,

कभी हँसाती है तो कभी रुलाती है ,

पर जो हर हाल में खुश रहते हैं ,

जिंदगी उन्ही के आगे सर झुकाती है।

जिसने कहा कल, दिन गया टल,

जिसने कहा परसों,बीत गए बरसो

जिसने कहा आज, उसने किया राज।

झूठा अपनापन तो हर कोई जताता है,

वो अपना ही क्या जो पल पल सताता है,

यकीं न करना हर किसी पर क्यूंकि,

करीब कितना है कोई यह तो वक्त बताता है ।

पंछी ने जब जब किया पंखों पर विश्वास,

दूर दूर तक हो गया उसका ही आकाश।

हदे शहर से निकली तो गाँव गाँव चली,

कुछ यादें मेरे संग पांव-पांव चली,

सफ़र जो धुप का हुआ तो तजुर्बा हुआ,

वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।

जिंदगी देने वाले, मरता छोड़ गये

अपनापन जताने वाले तन्हा छोड़ गये

जब पड़ी जरूरत हमें अपने हमसफर की

वो जो साथ चलने वाले रास्ता मोड़ गये

प्रेम परिचय को पहचान बना देता है वीराने को गुलिस्तान बना देता है मै आप बीती कहता हु गैरो कि नही प्रेम इंसान को भगवान बना देता है।

जीने के लिये तेरा एक अरमान ही काफी, दिल की कलम से लिखी ये दास्तान ही काफी है, तीरों-तलवार की तुझे क्या जरुरत है हसीना, क़त्ल करने के लिये तेरी मुस्कान ही काफी है।

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