न रुकी वक़्त की गर्दिश और न ज़माना बदला.
पेड़ सुखा तो परीन्दो ने ठिकाना बदला.!!
कभी किसी के जज्बातों का मजाक ना बनाना.
ना जाने कौन सा दर्द लेकर कोई जी रहा होगा.!!
कभी टूटकर बिखरो तो मेरे पास आ जाना.
मुझे अपने जैसे लोग बहुत पसंद है.!!
सोचता हु हर कागज पे तेरी तारीफ करु.
फिर खयाल आया कहीँ पढ़ने वाला भी तेरा दीवाना ना हो जाए.!!
मुहब्बत में झुकना कोई अजीब बात नही.
चमकता सूरज भी तो ढल जाता है चाँद के लिए.!!
बुरा वक़्त सबसे बड़ा जादूगर है.
एक ही पल में सारे चाहने वालों के चेहरे से पर्दा हटा देता है.!!
तुझे पाना तुझे खोना तेरी ही याद मेँ रोना.
ये अगर इश्क है तो हम तनहा ही अच्छेँ हैँ.!!
नवंबर की तरह हम भी अलविदा कह देंगें एक दिन.
फिर ढूँढते फिरोगे हमें दिसंबर की सर्द रातों में.!!
मेरा यही अंदाज इस जमाने को खलता है.
कि इतना पीने के बाद भी सीधा कैसे चलता है.!!
इस जहान में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोग.
रुख हवा का देखकर अक्सर बदल जाते हैं लोग.!!
तकलीफें तो हज़ारों हैं इस ज़माने में.
बस कोई अपना नज़र अंदाज़ करे तो बर्दाश्त नहीं होता.!!
जरूरी नही कि मोहब्बत में रोज बातें हो.
खामोशी से एक दूसरे की Profile Pic देखना भी इश्क़ है.!!
कितनी खुबसूरत सी हो जाती है उस वक़्त दुनिया.
जब हमारा अपना कोई कहता है तुम याद आ रहे हो.!!
आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा कश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा.
पत्थर कहता है मुझे मेरा चाहने वाला मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा.!!
उदास हूँ पर तुझसे नाराज़ नहीं तेरे दिल में हूँ पर तेरे पास नहीं.
झूठ कहूँ तो सब कुछ है मेरे पास और सच कहूँ तो तेरे सिवा कुछ नहीं.!!
मोहब्बत की आजमाइश दे दे कर थक गया हूँ ऐ खुदा.
किस्मत मेँ कोई ऐसा लिख दे जो मौत तक वफा करे.!!
दामन को फैलाये बैठे हैं अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही.
माँगू तो अब क्या माँगू जब तेरे सिवा कुछ याद नही.!!
उसकी ये मासूम अदा मुझको बेहद भाती है.
वो मुझसे नाराज़ हो तो गुस्सा सबको दिखाती है.!!
कब तक तेरे फरेब को हादसे का नाम दूँ,
ऐ इश्क तूने तो मेरा तमाशा बना दिया.!!
जब जब तुमसे मिलने की उम्मीद नजर आई पैरों में जन्जीर नजर आयी.
गिर पङे आंसू आंखों से हर आंसू में तेरी ही तस्वीर नजर आई.!!
बरबाद कर देती है मोहब्बत हर मोहब्बत करने वाले को.
क्यूकि इश्क़ हार नही मानता और दिल बात नही मानता.!!
बरबाद कर देती है मोहब्बत हर मोहब्बत करने वाले को.
क्यूकि इश्क़ हार नही मानता और दिल बात नही मानता.!!
सुकून ऐ दिल के लिए कभी हाल तो पूँछ ही लिया करो.
मालूम तो हमें भी है कि हम आपके कुछ नहीं लगते.!!
तुझे शिकायत है कि मुझे बदल दिया है वक़्त ने.
कभी खुद से भी तो सवाल कर क्या तू वही है.!!
आओ बैठो करीब मेरे कुछ तो बात करो.
मैं हूँ ख़ामोश गर तो तुम ही शुरुआत करो.!!
ख़त में मेरे ही ख़त के टुकड़े थे और
मैं समझी के मेरे ख़त का जवाब आया है
मेरा दर्द भी औरों के काम आता है,
मैं रो पडूँ तो कई लोग मुस्कुराते हैं !!
देख ली जमाने की यारी
सब बदल गए बारी बारी...
दर्द को भी आधार से जोड़ दो साहेब,
जिन्हे मिल गया उन्हें दोबारा न मिले..
एक अजीब सा सुकून देती है जींदगी.
जब खोने के लिए कुछ नहीं रहता.!!
तुम तन्हा रहने का सोचना भी मत.
मैं तुम्हारा वक़्त हूँ साथ साथ चलूँगा.!!
बाँहों मे भरकर पूछा था उन्होंने कौन सा रंग लगाउँ तुम्हें.
हमने भी कह दिया मुझे सिर्फ़ तुम्हारे प्यार का रंग पसंद है.!!
ना तंग कर प्यार करने दे ऐ जिन्दगी.
तेरी कसम तुझसे भी हसींन है वो.!!
वो कहती है की बहुत मजबूरियां है मेरी.
साफ़ शब्दों में खुद को बेवफ़ा नहीं कहती.!!
मोहब्बत करने वाले ना जीते है ना ही मरते है
फूलों की चाह मैं वो काँटों पर से गुजरते है
तुझे क्या खबर थी की तेरी यादो ने किस 2 तरह सताया
कभी अकेले में हसांया तो कभी महफ़िलो में रुलाया
एहसास मिटा तलाश मिटी और मिट गयी सारी उम्मीदे
सब मिट गया पर जो न मिट सका वो हैं सिर्फ तेरी यादें
रिश्तो की दलदल से मैं जब भी बाहर आया
हर साजिश के पीछे किसी न किसी अपने को ही पाया
कब तक करेंगे इंतजार अब तो जान भी जाने लगी
हम पे तरस खाके अब तो मौत भी पास आने लगी
यादो में उसकी देखो हम क्या क्या करते हैं
बिखरी हुयी ज़िंदगी में दीवारों से बाते करते हैं
कोई नही आऐगा मेरी जिदंगी मे तुम्हारे सिवा
एक मौत ही है जिसका मैं वादा नही करता
मेरे बस का नहीं किसी का दिल चुराना
मैँ तो देखो अपना भी खोए बैठl हूँ
हमारी ज़िंदगी तो कब की भिखर गयी
हसरते सारी दिल में ही मर गयी
चल पड़ी वो जब से बैठ के डोली में
हमारी तो जीने की तमन्ना ही मर गयी
कितनी आसानी से कह दिया तुमने
की बस अब तुम मुझे भूल जाओ
साफ साफ लफ्जो मे कह दिया होता
की बहुत जी लिये अब तुम मर जाओ
जो लोग एक तरफा प्यार करते है
अपनी ज़िन्दगी को खुद बर्बाद करते है
नहीं मिलता बिना नसीब के कुछ भी
फिर भी लोग खुद पर अत्याचार करते है
अजीब था उनका अलविदा कहना
सुना कुछ नहीं और कहा भी कुछ नहीं
बर्बाद हुवे उनकी मोहब्बत में
की लुटा कुछ नहीं और बचा भी कुछ नहीँ
हम सिमटते गए उनमें और वो हमें भुलाते गए
हम मरते गए उनकी बेरुखी से और वो हमें आजमाते गए
सोचा की मेरी बेपनाह मोहब्बत देखकर सीख लेंगी वफाएँ करना
पर हम रोते गए और वो हमें खुशी-खुशी रुलाते गए
हर दर्द की दवा हो तुम
आज तक जो मांगी मेरी एक लौटी दुआ हो तुम
तुम्हे मिलने की तमन्ना नहीं उठती कभी
क्यूंकि जो हर वक़्त साथ रहती है वो हवा हो तुम
बस तेरे नाम से मेरा नाम जुडा रहे
इससे नहीं फर्क बेवफाई या वफा करे
कुछ तो हो तेरे नाम का पास मेरे
तेरे गम से ही बेशक मेरा दिल भरा रहे
प्यार की जंग में जो खुद ही हार जाते हैं
वही तो जिंदगी में अपना प्यार पाते हैं
दुनिया कहती रहे बातें इधर -उधर की
मुहब्बत को पाकर वह खुद मुस्कराते हैं